(1) यह संरचनात्मक विशिष्टता और मात्रात्मक विशिष्टता के बीच एक संतुलन पैदा करता है.
2.
दूसरी संकेत-प्रणाली पर पहली संकेत-प्रणाली के सापेक्ष प्राधान्य (कलात्मक मनुष्य), व्यक्तित्व के लिए संबद्ध भेद के लिए लाक्षणिक भावनाओं तथा बिंबों के अर्थ में विश्व के बोध की संरचनात्मक विशिष्टता का द्योतक है।
3.
इसके विपरीत चिंतक मनुष्य, यानि पहली संकेत-प्रणाली पर दूसरी संकेत-प्रणाली का प्राधान्य विश्व के प्रति सैद्धांतिक तथा सार-ग्रहणकारी दृष्टिकोण की संरचनात्मक विशिष्टता का द्योतक है, जो इस प्रकार के मनुष्यों को बाक़ी सबसे विभेदित करती है।